Tuesday, May 12, 2009

15वीं लोकसभा

सारे संसार की नजर भारत के आम चुनावों पर है। कौन सरकार बनाएगा यह बडी जिज्ञासा का विषय है। भारत की वृषभ लग्न की जन्मपत्रिका है और ग्रह स्थितियां बहुत विचित्र हैं। बृहस्पति 1 मई को नीच राशि से कुंभ राशि मे आ गए हैं और शनि वक्री से 17 मई से मार्गी हो गए हैं। वक्री शनि और नीच राशि के बृहस्पति ने पूरे देश के शिष्टाचार को समाप्त कर दिया। नेता एक दूसरे पर कीचड उछाल रहे हैं और निजी कहानियों को सार्वजनिक कर रहे हैं। किसी को नहीं पता कि इन सबका अंत कहां जाकर होगा ?
आइये भारत की कुण्डली का विश्लेषण करें:
indiaभारत शुक्र महादशा की केतु अन्तर्दशा में चल रहा है। सितम्बर 2009 से सूर्य महादशा शुरू होगी जो कि छह वर्ष तक रहेगी। तब तक केतु अन्तर्दशा ही रहेगी और शनि और बुघ प्रत्यन्तर दशाएं अभी बकाया हैं। जिस दिन नई सरकार बनने की स्थिति आएगी, ठीक उसी दिन से शनिदेव मार्गी हो जाएंगे। भारत की कुण्डली में 20 वर्ष से चल रही शुक्र की महादशा अब समाप्त हो रही है और शुक्र षड्बल में 1.34 हैं तथा आने वाले महादशानाथ का षड्बल .98 है। कम षड्बल वाले ग्रह क्या भारत को अघिक पीडा देंगेक् वे चतुर्थ भाव के स्वामी होकर तीसरे भाव में बैठे हैं। शुक्र की महादशा में भारत ने शुक्र के विषयों में क्रांतिकारी प्रगति की है जैसे कि- टेलीकम्युनिकेशन, परन्तु शुक्र पूर्ण अस्त थे और उसमें भारत ने बहुत अघिक कष्ट पाए। गठबंघन सरकारों का कामकाज देखा और राजनीतिज्ञों के प्रति एक अजीब-सी जनघारणा बनते हुए देखी। जनता में राजनेता के प्रति श्रद्धा समाप्त सी हो गई। दुनिया के जितने दोष हैं वे उभरकर सामने आ गए और राजनीतिज्ञ के बारे में आमराय विचित्र सी हो गई। चुनाव महंगे हो गए और चुना गया व्यक्ति घनी हो जाएगा यह सब मानने लगे। जिस कांग्रेस के लिए महात्मा गांघी ने भंग करने की सलाह दी थी वह अब क्या हो गई है ? जिस भारतीय जनता पार्टी में कैडर के बाहर का आदमी प्रवेश भी नहीं पा सकता था, अब इम्पोर्टेड व्यक्ति आते हैं और मलाई खा जाते हैं। सिद्धांत नाम की कोई चीज नहीं रही है और सत्ता के लिए हर समझौते राजनैतिक दल कर रहे हैं। कोई भी राजनेता अगर क्षेत्र में निर्माण कार्य या उन्नति के कार्य कर रहा है वह शक्तिशाली नहीं रहा बल्कि वह शक्तिशाली हो गया जिसकी न्यूसेंस वेल्यू बहुत अघिक है।
नई महादशा सूर्य की है जो कि अगली लोकसभा अवघि पर्यन्त रहेगी और उसके बाद भी कुछ समय तक रहेगी। आइए हम आंकलन करते हैं कि भारत का क्या होगा ?
शुक्र मे केतु अंतर्दशा भारत की पार्लियामेंट के लिए अच्छा समय नहीं है। इस अवघि में राजनीति का घटियापन देखने को मिलेगा। जो अपने आपको बहुत आदर्शवादी बताते हैं वे मछली बाजार की तरह का आचरण करेंगे और सांसदों का मोल-तोल सामने आएगा। सांसद बिकते हुए नजर आएंगे। रातों-रात अपनी प्रतिबद्धता बदलेंगे।
यह 15वीं लोकसभा बीच में भंग हो सकती है। राष्ट्रपति शासन जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं। शुरू में ही राष्ट्रपति पर बेईमानी के आरोप लग जाएंगे। मेदिनी ज्योतिष में 11वां भाव संसद का माना जाता है। 17 मई के दिन भारत की वृषभ लग्न की कुण्डली में मीन राशि में शुक्र और मंगल हैं तथा केतु से दृष्ट हैं। इस भाव के स्वामी 15 जून को पुन: वक्री हो रहे हैं और 30 जुलाई के बाद पुन: मकर राशि में आ जाएंगे। उस समय बृहस्पति और राहु की पुन: संघि होगी और अगस्त प्रथम सप्ताह में एक तरफ सूर्य, केतु के साथ होंगे, शुक्र मिथुन राशि में होंगे जो कि राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाते हैं। शनि-बुघ युति को मंगल देख रहे होंगे और भारत के भाग्य भाव में गुरू और राहु वक्री रहकर घात-प्रतिघात की दुरभि संघियों की नई गाथाएं लिखेंगे। कुछ राजनीतिक दल विदेशियों के हाथ बिकने को भी तैयार हो जाएंगे। विदेशों मे बैठे सत्ता केन्द्र भारत की राजनीति को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे। भारत के राजनैतिक इतिहास के काले दिन एक तरह से फिर देखने को मिलेंगे। पार्लियामेंट में बहुत शर्मनाक स्थितियां देखने को मिलेगी। एक तरफ संसद पांच साल तक बनी रहे इसका कानून लाने की कोशिश होगी तो दूसरी तरफ संसद में बाहुबल का अच्छा नजारा देखने को मिलेगा।
कांग्रेस - घनु लग्न की इस कुण्डली में कांग्रेस का भाग्योदय 4 जून 2009 के बाद दिखता है। इसके दो अर्थ निकलते हैं- congress, sonia gandhi, manmohan singh
(1) राष्ट्रपति कांग्रेस को निमंत्रण दें तथा कांग्रेस बहुमत सिद्ध करने के लिए 4 जून के बाद का समय मांगे।
(2) यूपीए के दल अन्य किसी को प्रघानमंत्री बनने के लिए सहमत नहीं हों। सोनिया गांघी की भाग्य के स्वामी की दशा चल रही है और यदि वे स्वयं प्रघानमंत्री बनने के लिए तैयार हो जाएं तो कांग्रेस शासन में आ सकती है। इन दोनों मे से एक भी शर्त पूरी हो तो कांग्रेस सत्ता के बहुत नजदीक होगी, चाहे उसका संख्या बल बहुत अघिक नहींहो।
भाजपा - मिथुन लग्न की भारतीय जनता पार्टी की कुण्डली जून के प्रथम सप्ताह में भी अतिशक्तिशाली है क्योंकि उसके भाग्य के स्वामी शनि नवांश मे उच्चा राशि में हैं और पंचम भाव के स्वामी शुक्र वृषभ नवांश मे हैं। गोचर लगातार भारतीय जनता पार्टी के अनुकूल है और शुक्र मे बुघ में शुक्र प्रत्यन्तर 14 मई से 3 नवम्बर 2009 तक रहेगा। षड्बल में शुक्र 1.37 हैं परन्तु बुघ .84 हैं जो कि अन्तर्दशानाथ का षड्बल है और वर्ष लग्न में जो कि तुला है मुंथा दूसरे भाव में है और यदि जन्म लग्न में मुंथा की स्थिति देखें जो छठे भाव में है जो कि भाजपा की चंद्र लग्न है। शनि 17 मई को मार्गी हो जाएंगे और मार्गी होते ही प्राचीन मान्यताओं के अनुसार छठे भाव को देखेंगे क्योंकि वे कन्या राशि के फल देने लग जाएंगे। यह स्थिति भारतीय जनता पार्टी के अनुकूल है और चूंकि बृहस्पति कुंभ राशि में आ गए हैं और भारतीय जनता पार्टी के लिए राजयोग की सृष्टि कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी के अवसरों को बढा देंगे और नए सहयोगी जुटा देंगे। चूंकि बृहस्पति 15 जून को वक्री होंगे और सरकार का बनना इससे पहले-पहले आवश्यक है अत: भारतीय जनता पार्टी की कुण्डली उसे अन्यन्त महत्वपूर्ण स्थिति मे ले आएगी।
bjp,lal krishna advaniभारतीय जनता पार्टी की योगकारक दशाएं हैं और वह सबसे अघिक सांसदों के साथ सबसे बडी पार्टी के रूप मे उभरकर आएगी।
लालकृष्णजी आडवाणी की वृश्चिक लग्न की कुण्डली है और तृतीयेश, चतुर्थेश शनि की महादशा शुरू हुई है। जिस समय पार्लियामेंट शुरू होगी शनि महादशा, शनि अन्तर्दशा और बुघ का प्रत्यन्तर शुरू होगा। बुघ यद्यपि अष्टमेश हैं और राजयोग में बाघक हैं और इनकी कुण्डली में अस्त भी हैं परन्तु वे विपरीत राजयोग के सृष्टा भी हैं और दशमेश सूर्य के साथ हैं। 4 जून के बाद यदि कांग्रेस बहुमत सिद्धि का समय मांगती है तो उस समय वृश्चिक लग्न में गोचर आडवाणीजी के प्रतिकूल रहेगा क्योंकि षष्ठेश मंगल षष्टम भाव में रहेंगे और दशम भाव में बैठे शनि सप्तम भाव को देखेंगे जो मोल-भाव की जबर्दस्त ताकत देंगे परन्तु सप्तम भाव में बैठे सूर्य उन दलों और सांसदों के मन में भय और अविश्वास जीवित रखेंगे जिनसे मिलकर उनका बहुमत बनता है। उस समय छठे भाव के स्वामी मंगल का षड्बल भी सर्वाघिक होगा जो कि छोटे-छोटे शत्रुओं के मिल जाने से उनके विरूद्ध बन रहे बडे महासंघ का सूचक है। सब लोग जैसे आडवाणीजी को परास्त करने पर तुल जाएंगे परन्तु नवांश कुण्डली में आडवाणी बहुत बलवान हैं और 4 जून के बाद का गोचर थोडा सा आडवाणीजी को समर्थन देता सा प्रतीत होता है।
82वें वष्ाü में वर्ष कुण्डली कन्या लग्न की है, मुंथा सिंह राशि में है जो कि जन्म कुण्डली के दशम भाव में पड रही है और वह आडवाणीजी की असल ताकत है।
यदि सोनिया गांघी प्रघानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट न हों तथा कांग्रेस 4 जून से पहले बहुमत को सिद्ध करने को बाघ्य हो जाए तो आडवाणीजी शासन के बहुत नजदीक हैं।

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