Wednesday, May 6, 2009

मास्टर ब्लास्टर सचिन

महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर विश्व में एक अनूठा स्थान रखते हैं और आने कई वर्षो तक इनके रिकाड्र्स की बराबरी तक पहुंचना किसी खिलाडी के लिए असंभव नहीं परन्तु कठिन और दीर्घ सूत्री कार्यक्रम अवश्य हो सकता है।
सचिन रमेश तेंदुलकर ने आज से 20 वर्ष पूर्व जब पाकिस्तान के विरूद्ध अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत की थी उस समय कोई नहीं जानता था कि यह छोटा-सा नौजवान जिसे तत्कालीन क्रिकेट कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने वेस्ट इंडीज के दौरे पर ले जाने से पूर्व यह वक्तव्य दिया था कि यदि मेरी ओर से सचिन को चुनने की पहल होती है तो यह कहा जाएगा कि बच्चे को दौरे पर ले गए हैं अत: उन्होंने उस समय सचिन को अप्रत्यक्ष रूप से नकार ही दिया था। यही बच्चा बतौर चयनकर्ता भी दिलीप वेंगसरकर के सामने रहा और अपनी उम्र के 34-35 वर्ष में भी वेंगसरकर उसको नकार नहीं सके जबकि इसके साथी सौरव गांगुली बहुत पीछे छूट गए। उस समय किसी को यह मालूम नहीं था कि यह छोटा बच्चा अपना कद इतना ऊंचा कर ले जाएगा कि उसको छूना तो संभव होगा परन्तु उस तक पहुंचने के लिए लम्बी व कठिन परीक्षा के दौर से गुजरना होगा।
सचिन तेंदुलकर की कन्या लग्न की कुंडली है तथा भाग्येश शुक्र अष्टम भाव में अस्त होकर स्थित हैं परन्तु कुण्डली में सर्वश्रेष्ठ ग्रह नहीं हैं। इस समय सचिन शुक्र अंतर्दशा में चल रहे हैं जो 2011 मे समाप्त होगी। जन्म पत्रिका में शुक्र का षड्बल 1.08 है। षड्बल में अघिक होते हुए भी शुक्र इनको पूर्ण परिणाम नहीं दे पाएंगे। उनकी fight back spirit षष्ठेष शनि की देन है जो अपनी मित्र राशि में स्थित होकर स्वराशि को देख रहे हैं। जन्मपत्रिका के भाग्येश शुक्र घनभाव को देख रहे हैं और वर्ष प्रवेश कुण्डली में वे पंचम भाव में अपनी उच्चा राशि में बैठे हैं। यह लाभ प्राप्ति के अच्छे संकेत हैं।
24 अप्रैल 2009 को रात्रि 9:50 को शुरू होने वाले वर्ष में मुंथा जन्म कुण्डली के लग्न में है तथा वर्ष कुण्डली से 11वें भाव में हैं। 11वां भाव हस्त कौशल का है और सचिन के बल्ले का कौशल इस वर्ष, इस रूप में अवश्य देखने को मिलेगा परन्तु सचिन का प्रदर्शन आगामी कुछ सीरीज में सर्वोत्तम होगा, ऎसी उम्मीद नहीं की जा सकती। सीरीज के रिकॉड्र्स में कई लोग उनसे आगे निकल जाएंगे जिसका कारण भाग्य भाव की अंतर्दशा का होना और अंतर्दशानाथ का अस्त होना है। भाग्यफल मिलेगा तो सही परन्तु सीमित मात्रा में। ग्यारहवें भाव की मुंथा शुभ मानी जाती है जो सचिन को लाभ की ओर अग्रसर कर देगी परंतु किन्हीं मामलों में वे इस वर्ष किसी विवाद का शिकार भी अवश्य होंगे। यद्यपि वे अपनी हर आलोचना का उत्तर अपनी वाणी से नहीं अपितु अपने प्रदर्शन से देते हैं परंतु फिर भी किन्हीं मामलों में उन्हें जबान खोलनी ही पडेगी।
सचिन के तमाम रिकाड्र्स बनना उनकी पिछली अंतर्दशाओं के फल हैं और उन्हीं के प्रभाव में लगातार उनको फल मिलते रहेंगे। दशांश कुण्डली में शुक्र पंचमेश व द्वादशेश होकर तृतीय भाव में बैठे हैं और मंगल व बृहस्पति से दृष्ट हैं। मंगल पराक्रमी शुक्र अपनी उच्चा राशि में पंचम भाव में स्थित हैं।
फरवरी 2009 से मई 2009 तक वे चंद्रमा के प्रत्यंतर मे रहेंगे। चंद्रमा एकादशेश होकर चतुर्थ भाव में राहु के साथ स्थित है इस दौरान उनके प्रदर्शन में उतार-चढाव बना रहेगा। मई 2009 से जुलाई 2009 तक वे मंगल के प्रत्यंतर में रहेंगे। मंगल प्रत्यंतर में सचिन के जीवन में कुछ विवाद हो सकते हैं क्योंकि मंगल जन्मपत्रिका के अष्टमेश होकर पंचम भाव मे अपनी उच्चा राशि में स्थित हैं तथा दशांश कुण्डली में मंगल षष्ठेश हैं। जुलाई 2009 से जनवरी 2010 तक राहु का प्रत्यंतर रहेगा। जिसमें वे पुन: एक बार आलोचना के शिकार बनेंगे। कुल मिलाकर यह वर्ष उनके मिले-जुले परिणाम लाने वाला रहेगा।

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