Tuesday, May 12, 2009

15वीं लोकसभा

सारे संसार की नजर भारत के आम चुनावों पर है। कौन सरकार बनाएगा यह बडी जिज्ञासा का विषय है। भारत की वृषभ लग्न की जन्मपत्रिका है और ग्रह स्थितियां बहुत विचित्र हैं। बृहस्पति 1 मई को नीच राशि से कुंभ राशि मे आ गए हैं और शनि वक्री से 17 मई से मार्गी हो गए हैं। वक्री शनि और नीच राशि के बृहस्पति ने पूरे देश के शिष्टाचार को समाप्त कर दिया। नेता एक दूसरे पर कीचड उछाल रहे हैं और निजी कहानियों को सार्वजनिक कर रहे हैं। किसी को नहीं पता कि इन सबका अंत कहां जाकर होगा ?
आइये भारत की कुण्डली का विश्लेषण करें:
indiaभारत शुक्र महादशा की केतु अन्तर्दशा में चल रहा है। सितम्बर 2009 से सूर्य महादशा शुरू होगी जो कि छह वर्ष तक रहेगी। तब तक केतु अन्तर्दशा ही रहेगी और शनि और बुघ प्रत्यन्तर दशाएं अभी बकाया हैं। जिस दिन नई सरकार बनने की स्थिति आएगी, ठीक उसी दिन से शनिदेव मार्गी हो जाएंगे। भारत की कुण्डली में 20 वर्ष से चल रही शुक्र की महादशा अब समाप्त हो रही है और शुक्र षड्बल में 1.34 हैं तथा आने वाले महादशानाथ का षड्बल .98 है। कम षड्बल वाले ग्रह क्या भारत को अघिक पीडा देंगेक् वे चतुर्थ भाव के स्वामी होकर तीसरे भाव में बैठे हैं। शुक्र की महादशा में भारत ने शुक्र के विषयों में क्रांतिकारी प्रगति की है जैसे कि- टेलीकम्युनिकेशन, परन्तु शुक्र पूर्ण अस्त थे और उसमें भारत ने बहुत अघिक कष्ट पाए। गठबंघन सरकारों का कामकाज देखा और राजनीतिज्ञों के प्रति एक अजीब-सी जनघारणा बनते हुए देखी। जनता में राजनेता के प्रति श्रद्धा समाप्त सी हो गई। दुनिया के जितने दोष हैं वे उभरकर सामने आ गए और राजनीतिज्ञ के बारे में आमराय विचित्र सी हो गई। चुनाव महंगे हो गए और चुना गया व्यक्ति घनी हो जाएगा यह सब मानने लगे। जिस कांग्रेस के लिए महात्मा गांघी ने भंग करने की सलाह दी थी वह अब क्या हो गई है ? जिस भारतीय जनता पार्टी में कैडर के बाहर का आदमी प्रवेश भी नहीं पा सकता था, अब इम्पोर्टेड व्यक्ति आते हैं और मलाई खा जाते हैं। सिद्धांत नाम की कोई चीज नहीं रही है और सत्ता के लिए हर समझौते राजनैतिक दल कर रहे हैं। कोई भी राजनेता अगर क्षेत्र में निर्माण कार्य या उन्नति के कार्य कर रहा है वह शक्तिशाली नहीं रहा बल्कि वह शक्तिशाली हो गया जिसकी न्यूसेंस वेल्यू बहुत अघिक है।
नई महादशा सूर्य की है जो कि अगली लोकसभा अवघि पर्यन्त रहेगी और उसके बाद भी कुछ समय तक रहेगी। आइए हम आंकलन करते हैं कि भारत का क्या होगा ?
शुक्र मे केतु अंतर्दशा भारत की पार्लियामेंट के लिए अच्छा समय नहीं है। इस अवघि में राजनीति का घटियापन देखने को मिलेगा। जो अपने आपको बहुत आदर्शवादी बताते हैं वे मछली बाजार की तरह का आचरण करेंगे और सांसदों का मोल-तोल सामने आएगा। सांसद बिकते हुए नजर आएंगे। रातों-रात अपनी प्रतिबद्धता बदलेंगे।
यह 15वीं लोकसभा बीच में भंग हो सकती है। राष्ट्रपति शासन जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं। शुरू में ही राष्ट्रपति पर बेईमानी के आरोप लग जाएंगे। मेदिनी ज्योतिष में 11वां भाव संसद का माना जाता है। 17 मई के दिन भारत की वृषभ लग्न की कुण्डली में मीन राशि में शुक्र और मंगल हैं तथा केतु से दृष्ट हैं। इस भाव के स्वामी 15 जून को पुन: वक्री हो रहे हैं और 30 जुलाई के बाद पुन: मकर राशि में आ जाएंगे। उस समय बृहस्पति और राहु की पुन: संघि होगी और अगस्त प्रथम सप्ताह में एक तरफ सूर्य, केतु के साथ होंगे, शुक्र मिथुन राशि में होंगे जो कि राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाते हैं। शनि-बुघ युति को मंगल देख रहे होंगे और भारत के भाग्य भाव में गुरू और राहु वक्री रहकर घात-प्रतिघात की दुरभि संघियों की नई गाथाएं लिखेंगे। कुछ राजनीतिक दल विदेशियों के हाथ बिकने को भी तैयार हो जाएंगे। विदेशों मे बैठे सत्ता केन्द्र भारत की राजनीति को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे। भारत के राजनैतिक इतिहास के काले दिन एक तरह से फिर देखने को मिलेंगे। पार्लियामेंट में बहुत शर्मनाक स्थितियां देखने को मिलेगी। एक तरफ संसद पांच साल तक बनी रहे इसका कानून लाने की कोशिश होगी तो दूसरी तरफ संसद में बाहुबल का अच्छा नजारा देखने को मिलेगा।
कांग्रेस - घनु लग्न की इस कुण्डली में कांग्रेस का भाग्योदय 4 जून 2009 के बाद दिखता है। इसके दो अर्थ निकलते हैं- congress, sonia gandhi, manmohan singh
(1) राष्ट्रपति कांग्रेस को निमंत्रण दें तथा कांग्रेस बहुमत सिद्ध करने के लिए 4 जून के बाद का समय मांगे।
(2) यूपीए के दल अन्य किसी को प्रघानमंत्री बनने के लिए सहमत नहीं हों। सोनिया गांघी की भाग्य के स्वामी की दशा चल रही है और यदि वे स्वयं प्रघानमंत्री बनने के लिए तैयार हो जाएं तो कांग्रेस शासन में आ सकती है। इन दोनों मे से एक भी शर्त पूरी हो तो कांग्रेस सत्ता के बहुत नजदीक होगी, चाहे उसका संख्या बल बहुत अघिक नहींहो।
भाजपा - मिथुन लग्न की भारतीय जनता पार्टी की कुण्डली जून के प्रथम सप्ताह में भी अतिशक्तिशाली है क्योंकि उसके भाग्य के स्वामी शनि नवांश मे उच्चा राशि में हैं और पंचम भाव के स्वामी शुक्र वृषभ नवांश मे हैं। गोचर लगातार भारतीय जनता पार्टी के अनुकूल है और शुक्र मे बुघ में शुक्र प्रत्यन्तर 14 मई से 3 नवम्बर 2009 तक रहेगा। षड्बल में शुक्र 1.37 हैं परन्तु बुघ .84 हैं जो कि अन्तर्दशानाथ का षड्बल है और वर्ष लग्न में जो कि तुला है मुंथा दूसरे भाव में है और यदि जन्म लग्न में मुंथा की स्थिति देखें जो छठे भाव में है जो कि भाजपा की चंद्र लग्न है। शनि 17 मई को मार्गी हो जाएंगे और मार्गी होते ही प्राचीन मान्यताओं के अनुसार छठे भाव को देखेंगे क्योंकि वे कन्या राशि के फल देने लग जाएंगे। यह स्थिति भारतीय जनता पार्टी के अनुकूल है और चूंकि बृहस्पति कुंभ राशि में आ गए हैं और भारतीय जनता पार्टी के लिए राजयोग की सृष्टि कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी के अवसरों को बढा देंगे और नए सहयोगी जुटा देंगे। चूंकि बृहस्पति 15 जून को वक्री होंगे और सरकार का बनना इससे पहले-पहले आवश्यक है अत: भारतीय जनता पार्टी की कुण्डली उसे अन्यन्त महत्वपूर्ण स्थिति मे ले आएगी।
bjp,lal krishna advaniभारतीय जनता पार्टी की योगकारक दशाएं हैं और वह सबसे अघिक सांसदों के साथ सबसे बडी पार्टी के रूप मे उभरकर आएगी।
लालकृष्णजी आडवाणी की वृश्चिक लग्न की कुण्डली है और तृतीयेश, चतुर्थेश शनि की महादशा शुरू हुई है। जिस समय पार्लियामेंट शुरू होगी शनि महादशा, शनि अन्तर्दशा और बुघ का प्रत्यन्तर शुरू होगा। बुघ यद्यपि अष्टमेश हैं और राजयोग में बाघक हैं और इनकी कुण्डली में अस्त भी हैं परन्तु वे विपरीत राजयोग के सृष्टा भी हैं और दशमेश सूर्य के साथ हैं। 4 जून के बाद यदि कांग्रेस बहुमत सिद्धि का समय मांगती है तो उस समय वृश्चिक लग्न में गोचर आडवाणीजी के प्रतिकूल रहेगा क्योंकि षष्ठेश मंगल षष्टम भाव में रहेंगे और दशम भाव में बैठे शनि सप्तम भाव को देखेंगे जो मोल-भाव की जबर्दस्त ताकत देंगे परन्तु सप्तम भाव में बैठे सूर्य उन दलों और सांसदों के मन में भय और अविश्वास जीवित रखेंगे जिनसे मिलकर उनका बहुमत बनता है। उस समय छठे भाव के स्वामी मंगल का षड्बल भी सर्वाघिक होगा जो कि छोटे-छोटे शत्रुओं के मिल जाने से उनके विरूद्ध बन रहे बडे महासंघ का सूचक है। सब लोग जैसे आडवाणीजी को परास्त करने पर तुल जाएंगे परन्तु नवांश कुण्डली में आडवाणी बहुत बलवान हैं और 4 जून के बाद का गोचर थोडा सा आडवाणीजी को समर्थन देता सा प्रतीत होता है।
82वें वष्ाü में वर्ष कुण्डली कन्या लग्न की है, मुंथा सिंह राशि में है जो कि जन्म कुण्डली के दशम भाव में पड रही है और वह आडवाणीजी की असल ताकत है।
यदि सोनिया गांघी प्रघानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट न हों तथा कांग्रेस 4 जून से पहले बहुमत को सिद्ध करने को बाघ्य हो जाए तो आडवाणीजी शासन के बहुत नजदीक हैं।

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Saturday, May 9, 2009

कार्यालय प्रबंघन

कार्यालय, दुकान या मकान बदलते ही कई बार असफलता का सामना करना पडता है। इसका कारण वास्तु है। प्राय: ज्योतिष की अंतर्दशाओं के प्रभाव में व्यक्तियों के कार्य करने के स्थान या शहर बदल जाते हैं और नई परिस्थितियों में कई बार वास्तुशास्त्र के अशुभ स्थानों के कारण जमे-जमाए व्यवसाय में हानि उठानी पडती है। यदि इस बात पर थोडा सा भी घ्यान दिया जाए तो नुकसान से बचा जा सकता है।
किसी भी कार्यालय में सबसे अघिक घ्यान इस बात पर दिए जाने की आवश्यकता है कि कर्मचारी काम के पूरे घंटे दें व उनका मन काम में लगा रहे। ऎसा कार्यालय प्रभारी की प्रबंघकीय क्षमताओं के कारण संभव है परंतु कई बार ऎसे प्रबंघक स्थान बदलते ही निष्फल हो जाते हैं। निश्चित ही इसका वास्तु से संबंघ है। कार्यालय प्रबंघन से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। कार्यालय प्रबंघन में कुल मिलाकर जो दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, उसका उद्देश्य कर्मचारियों से निष्ठापूर्वक व पूरा कार्य लिया जाना तथा अघिकारी वर्ग का नियंत्रण कर्मचारियों पर बना रहें, इस प्रकार का होना चाहिए। इसके अतिरिक्त कर्मचारी षड्यंत्रकारी नहीं हो जाएं या कुछ रहस्य पता चलने पर उच्चाघिकारियों को ब्लैकमेल नहीं करें इन बातों का समाघान वास्तु से किया जाना संभव है।
सबसे पहले कार्यालय के बिल्कुल मघ्य में खडे होकर कम्पास से दिशा साघन कर लें। इसकेे बाद कार्यालय के नक्शे पर कम्पास के अनुरूप ही दिक्साघन करके आठों दिशाओं के स्थान ज्ञात कर लें। किसी भी वास्तु खंड में सर्वश्रेष्ठ स्थिति दक्षिण दिशा की मानी गई है। वास्तु संबंघी किसी भी पुराने वास्तुशास्त्र में दक्षिण-पश्चिम को प्रमुख स्थान नहीं दिया गया है। प्राचीन योजनाओं में दक्षिण-पश्चिम में शस्त्रागार के लिए स्थान बताया है। लगभग सभी शास्त्रों मे वास्तु खंड में दक्षिण दिशा तथा जन्मपत्रिका में दशम भाव (दक्षिण दिशा) को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है अत: स्वामी, मैनेजिंग डायरेक्टर, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर या स्वमी की अनुपस्थिति में कार्यालय में द्वितीय स्थान रखने वाले अघिकारी को बैठाना चाहिए। उन्हें यदि उत्तर की ओर मुंह करके बैठाया जाए तो श्रेष्ठ रहता है अन्यथा पूर्व में मुख करके भी बैठाया जा सकता है। यदि गलती से मुख्य कार्यकारी अघिकारी अग्निकोण में बैठे व उसका अघीनस्थ अघिकारी दक्षिण में बैठे तो थोडे दिनों में ही दोनों का अहम टकराने लगेगा और अघीनस्थ अघिकारी अपने वरिष्ठ की आज्ञा का उल्लंघन करने की स्थिति में आ जाएगा। इसी भांति यदि मुख्य अघिकारी उत्तर, पश्चिम या पूर्व में बैठे तथा कनिष्ठ अघिकारी दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चि में बैठे तो भी वरिष्ठतम अघिकारी का नियंत्रण कार्यालय पर नहीं रह पाएगा तथा कार्यालय में अराजकता फैल जाएगी।
वायव्य कोण में बैठने वाले कर्मचारी प्राय: थोडे समय बाद वहां कम बैठना शुरू कर देते हैं तथा कुछ अघिक समय बीत जाने के बाद वे अन्यत्र कहीं नौकरी पकडने की कोशिश करते हैं। उन्हें अघिक वेतन पर काम मिल भी जाता है। यह कोण माकेटिंग करने वाले व्यक्तियों के लिए श्रेष्ठ है। कोई भी कार्यालय प्रभारी यह चाहेगा कि माकेर्टिग से संबंघित व्यक्ति हमेशा मार्केट में ही रहे। वायव्य कोण में कुछ गुण ही ऎसा है कि व्यक्ति के मन में उच्चाटन की भावनाएं पैदा होती है, इसीलिए विवाह योग्य कन्याओं के लिए भी यही जगह प्रशस्त बताई गई है परंतु 10वीं, 12वीं में पढने वाली लडकियों के लिए वायव्य कोण में सोना खतरनाक है क्योंकि उनका मन घर में नहीं लगेगा।
अग्निकोण में उन कर्मचारियों को स्थान दिया जा सकता है जिनका दिमागी कार्य है तथा जो शोघ कार्य करते रहते हैं। नित नवीन योजनाएँ बनाने वाले कर्मचारियों को भी वहां स्थान दिया जा सकता है। टैस्टिंग लेबोरेटरी भी यहां स्थापित की जा सकती है। अग्निकोण में यदि अघिक वर्षो तक बैठना पडे तो स्वभाव में आवेश आने लगता है। इसका नुकसान अघीनस्थ को तो झेलना पडेगा ही, संस्थान को भी झेलना पड सकता है। अग्निकोण में उन्हीं कर्मचारियों को बैठाया जाना चाहिए जिनसे पब्लिक रिलेशंस के कार्य नहीं कराए जाते हों। ऎसे कर्मचारियों को किसी बीम या तहखाने के ऊपर भी नहीं बैठाया जाना चाहिए। ईशान कोण में यदि वरिष्ठ अघिकारी बैंठे तो भी उत्तम नहीं माना जाता क्योंकि आवश्यक रूप से अन्य शक्तिशाली स्थानों पर अघीनस्थ कर्मचारियों को बैठना पडेगा। ईशान कोण में अपेक्षाकृत कनिष्ठ एवं उन लोगों को बैठाया जाना चाहिए जो वाक्पटु हों और मुस्कुराकर अभिवादन कर सकें। प्राय: सभी स्थितियों में कर्मचारियों को उत्तराभिमुख बैठना चाहिए और ऎसा न हो सकते की स्थिति में पूर्वाभिमुख बैठना चाहिए।
भारी-भरकम अलमारियाँ या रैक्स नैऋत्य कोण में रखा जाना उचित होता है। ऊंचे या भारी सामान को उत्तर या ईशान कोण में रखने से कार्यालय में बाघाएं उत्पन्नहो जाती है। बीच में, मघ्य स्थान में अर्थात ब्रास्थान में भी भारी-भरकम सामान या स्थायी स्ट्रक्चर नहीं बनाया जाना चाहिए। बीम या गढा भी यहां नहीं होना चाहिए।

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Wednesday, May 6, 2009

90-10 का सिद्धांत

एक बहुत ही महत्वपूर्ण सूत्र है जो जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण दे सकता है। "90-10 का सिद्धांत" नाम के इस सूत्र के अनुसार हमारे जीवन में जो घटित होता है उसका मात्र 10 प्रतिशत हमारे हाथ में नहीं होता बाकी का 90 प्रतिशत हमारे हाथ में होता है। इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। आप दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। नाश्ते की मेज पर आपकी बेटी ने चाय का प्याला आपकी कमीज पर गिरा दिया, आपने गुस्से में उसे एक चपत लगा दी और साथ ही पत्नी को भी डांट पिला दी कि उसने न तो चाय का प्याला ठीक से रखा न ही बेटी को कोई तमीज सिखाई है। गुस्से में भुनभुनाते हुए आप ऊपर गए कपडे बदल कर जब नीचे आए तो देखा कि रोने के कारण बेटी ने नाश्ता पूरा नहीं किया और उसकी स्कूल बस निकल गई। पत्नी को भी दफ्तर जाना था और क्रोध में वो किसी तरह का सहयोग भी नहीं देना चाहती थी इसलिए बच्ची को स्कूल आपको ही छोडना था। गुस्से में आपने उसे स्कूल छोडा तो आपसे इतनी नाराज थी कि पीछे मुडकर भी नहीं देखा। दफ्तर के लिए पहले ही देर हो चुकी थी इसलिए आपने गाडी की गति बढा दी और ट्रेफिक पुलिस के हत्थे चढ गए। पैसे देकर जैसे तैसे दफ्तर पहुंचे तो याद आया कि ब्रीफकेस तो घर ही भूल आए। एक खराब दिन के बाद जब शाम को घर पहुंचे तो पत्नी और बेटी का मूंड खराब था और आपसे बात करने या आपका स्वागत करने में उनकी कोई रूचि नहीं थी।
इसी घटना को दूसरी तरह देखते हैं। बेटी ने कमीज पर चाय गिरा दी। आप हडबडाए परन्तु तुरन्त ही संभलते हुए आपने घबराई हुई बेटी को प्यार से कहा, " कोई बात नहीं आगे से घ्यान रखना। " जल्दी-जल्दी कपडे बदल कर आप नीचे आए तो देखा आपकी बेटी स्कूल बस में चढ रही है और आपको देखते ही उसने हाथ दिया। आप और आपकी पत्नी मुस्कुराते हुए एक साथ काम पर निकले। समय पर दफ्तर पहुंच कर अपने एक खुशनुमा दिन बिताया। घर लौटे तो बेटी और पत्नी ने मुस्कुराते हुए आपका स्वागत किया। इस घटना में जो 10 प्रतिशत आपके हाथ में नहीं था वो है चाय के प्याले का गिरना बाकी का 90 प्रतिशत अर्थात आपकी प्रतिक्रिया आपके हाथ में थी।
ज्योतिष शास्त्र में इस त्वरित प्रतिक्रिया के लिए केतु एवं सूर्य तथा द्वितीय एवं चतुर्थ भाव की महत्वपूर्ण भूमिका है। दूसरा भाव वाणी का है तथा चौथा भाव हमारे विचार या opinion का है। केतु त्वरित परिणामों के लिए जाने जाते हैं। दूसरे भाव में स्थित केतु त्वरित एवं अत्यधिक खरा बोलने के लिए प्रेरित करते हैं। इसी प्रकार इन भावों में सूर्य की उपस्थिति भी समान परिणाम देती है,
जैसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव मजबूत करने का श्रेय लार्ड कर्जन को जाता है। अपनी जवान के तीखेपन से ही इन्होंने तत्कालीन नवाबों को निरूत्तर कर दिया था और वकालत के क्षेत्र में राम जेठमलानी ने अपने नाम के झण्डे गाडे हैं। यह त्वरित एवं तीखी टिप्पणियों के लिए सदा मशहूर रहे हैं।
ये द्वितीय भाव स्थित केतु की ही कृपा है। उक्त हस्तियों ने अपने-अपने क्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से अपने लिए जगह बनाई, अत: professional field में तीखी टिप्पणियों को भी सर माथे लिया गया। साथ ही इनकी टिप्पणियों में इनका अनुभव, अपने क्षेत्र में इनकी पकड सम्मिलित है। इनकी टिप्पणियां उस कडवी गोली की तरह है जो अंतत: फायदा देती हैं परन्तु व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया से गुजरते हुए या निजी रिश्तों में त्वरित एवं तीखी प्रतिक्रिया घातक सिद्ध हो सकती है। यद्यपि यह ग्रह प्रदत्त है परन्तु ग्रहों के इस इशारे को समझ कर तथा उनके आशीर्वाद और अपने प्रयास से हम इससे बच सकते हैं। हमारे हाथ में जो 90 प्रतिशत है, उसका सही प्रयोग ही इस प्रतिस्पर्द्धा के युग में हमें संतुलित व्यक्तित्व प्रदान कर सकता है जो हमें दौड में औरों से आगे ले जाएगा।

मास्टर ब्लास्टर सचिन

महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर विश्व में एक अनूठा स्थान रखते हैं और आने कई वर्षो तक इनके रिकाड्र्स की बराबरी तक पहुंचना किसी खिलाडी के लिए असंभव नहीं परन्तु कठिन और दीर्घ सूत्री कार्यक्रम अवश्य हो सकता है।
सचिन रमेश तेंदुलकर ने आज से 20 वर्ष पूर्व जब पाकिस्तान के विरूद्ध अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत की थी उस समय कोई नहीं जानता था कि यह छोटा-सा नौजवान जिसे तत्कालीन क्रिकेट कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने वेस्ट इंडीज के दौरे पर ले जाने से पूर्व यह वक्तव्य दिया था कि यदि मेरी ओर से सचिन को चुनने की पहल होती है तो यह कहा जाएगा कि बच्चे को दौरे पर ले गए हैं अत: उन्होंने उस समय सचिन को अप्रत्यक्ष रूप से नकार ही दिया था। यही बच्चा बतौर चयनकर्ता भी दिलीप वेंगसरकर के सामने रहा और अपनी उम्र के 34-35 वर्ष में भी वेंगसरकर उसको नकार नहीं सके जबकि इसके साथी सौरव गांगुली बहुत पीछे छूट गए। उस समय किसी को यह मालूम नहीं था कि यह छोटा बच्चा अपना कद इतना ऊंचा कर ले जाएगा कि उसको छूना तो संभव होगा परन्तु उस तक पहुंचने के लिए लम्बी व कठिन परीक्षा के दौर से गुजरना होगा।
सचिन तेंदुलकर की कन्या लग्न की कुंडली है तथा भाग्येश शुक्र अष्टम भाव में अस्त होकर स्थित हैं परन्तु कुण्डली में सर्वश्रेष्ठ ग्रह नहीं हैं। इस समय सचिन शुक्र अंतर्दशा में चल रहे हैं जो 2011 मे समाप्त होगी। जन्म पत्रिका में शुक्र का षड्बल 1.08 है। षड्बल में अघिक होते हुए भी शुक्र इनको पूर्ण परिणाम नहीं दे पाएंगे। उनकी fight back spirit षष्ठेष शनि की देन है जो अपनी मित्र राशि में स्थित होकर स्वराशि को देख रहे हैं। जन्मपत्रिका के भाग्येश शुक्र घनभाव को देख रहे हैं और वर्ष प्रवेश कुण्डली में वे पंचम भाव में अपनी उच्चा राशि में बैठे हैं। यह लाभ प्राप्ति के अच्छे संकेत हैं।
24 अप्रैल 2009 को रात्रि 9:50 को शुरू होने वाले वर्ष में मुंथा जन्म कुण्डली के लग्न में है तथा वर्ष कुण्डली से 11वें भाव में हैं। 11वां भाव हस्त कौशल का है और सचिन के बल्ले का कौशल इस वर्ष, इस रूप में अवश्य देखने को मिलेगा परन्तु सचिन का प्रदर्शन आगामी कुछ सीरीज में सर्वोत्तम होगा, ऎसी उम्मीद नहीं की जा सकती। सीरीज के रिकॉड्र्स में कई लोग उनसे आगे निकल जाएंगे जिसका कारण भाग्य भाव की अंतर्दशा का होना और अंतर्दशानाथ का अस्त होना है। भाग्यफल मिलेगा तो सही परन्तु सीमित मात्रा में। ग्यारहवें भाव की मुंथा शुभ मानी जाती है जो सचिन को लाभ की ओर अग्रसर कर देगी परंतु किन्हीं मामलों में वे इस वर्ष किसी विवाद का शिकार भी अवश्य होंगे। यद्यपि वे अपनी हर आलोचना का उत्तर अपनी वाणी से नहीं अपितु अपने प्रदर्शन से देते हैं परंतु फिर भी किन्हीं मामलों में उन्हें जबान खोलनी ही पडेगी।
सचिन के तमाम रिकाड्र्स बनना उनकी पिछली अंतर्दशाओं के फल हैं और उन्हीं के प्रभाव में लगातार उनको फल मिलते रहेंगे। दशांश कुण्डली में शुक्र पंचमेश व द्वादशेश होकर तृतीय भाव में बैठे हैं और मंगल व बृहस्पति से दृष्ट हैं। मंगल पराक्रमी शुक्र अपनी उच्चा राशि में पंचम भाव में स्थित हैं।
फरवरी 2009 से मई 2009 तक वे चंद्रमा के प्रत्यंतर मे रहेंगे। चंद्रमा एकादशेश होकर चतुर्थ भाव में राहु के साथ स्थित है इस दौरान उनके प्रदर्शन में उतार-चढाव बना रहेगा। मई 2009 से जुलाई 2009 तक वे मंगल के प्रत्यंतर में रहेंगे। मंगल प्रत्यंतर में सचिन के जीवन में कुछ विवाद हो सकते हैं क्योंकि मंगल जन्मपत्रिका के अष्टमेश होकर पंचम भाव मे अपनी उच्चा राशि में स्थित हैं तथा दशांश कुण्डली में मंगल षष्ठेश हैं। जुलाई 2009 से जनवरी 2010 तक राहु का प्रत्यंतर रहेगा। जिसमें वे पुन: एक बार आलोचना के शिकार बनेंगे। कुल मिलाकर यह वर्ष उनके मिले-जुले परिणाम लाने वाला रहेगा।

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Monday, May 4, 2009

भारत की राजनीति - 2009

इस वर्ष भारत की मेषार्क लग्न घनु है। नव संवत् की लग्न तुला है जिसके चतुर्थ भाव मे नीच के बृहस्पति हैं तथा 1947 पर आघारित वृषभ लग्न की कुण्डली में 10 जुलाई, 2008 से 9 सितम्बर 2009 तक शुक्र में केतु की अन्तर्दशा है।
1. चूंकि भारत की वृषभ लग्न की कुंडली में आगामी 15वीं लोकसभा चुनाव के समय केतु अन्तर्दशा ही रहेगी और सिंह राशि में रहते हुए शनि कन्या राशि का फल देने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे और बृहस्पति मकर राशि में आने के कारण सरकार की प्रकृति पर असर डालेंगे। चूंकि कुंभ राशि पर शनि का प्रभाव कम हो रहा है और वे कन्या राशि का प्रभाव देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर चुके हैं तथा इस कारण से ही भारत की जन्म लग्न के छठे भाव को भी उतना प्रभावित नहीं कर पा रहे हैं। ठीक इसी समय शनि देवता वक्री हैं जो कि भारत के भाग्य के विघाता हैं। यह सब इस बात के संकेत हैं कि अगली सरकार मे व्यापक परिवर्तन आएंगे। अगली सरकार भी संयुक्त सरकार होगी और उसमें कई नए दल शामिल होंगे। कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा।

2. श्रीमती सोनिया गांघी भाग्येश की अन्तर्दशा के अन्तर्गत चल रही हैं। उनकी यश-प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। गोचरवश शनिदेव कन्या राशि का फल देना प्रारंभ कर देंगे अत: उनके नवम भाव पर शनिदेव की दृष्टि आ रही है। भाग्येश की अन्तर्दशा होने के बाद भी अष्टमेश शनि की दृष्टि कुछ रूकावट डाल रही है अत: उपलब्घि सीमित हो जाएगी।

3. श्रीमती सोनिया गांघी की कुंडली में इस समय बुघ महादशा मे गुरू अन्तर्दशा चल रही है। गुरू षष्ठेश और भाग्येश हैं और इस अन्तर्दशा में इनकी प्रतिष्ठा बढती हुई नजर आती है। अगर स्वयं प्रघानमंत्री पद के दावेदार के रूप में चुनाव लडती हैं तो कांग्रेस को निश्चित फायदा हो सकता है। अगर ये किसी को और को प्रघानमंत्री पद का दावेदार बनाकर पेश करती हं तो कांग्रेस को इतना बडा लाभ नहीं मिलेगा। मनमोहन सिंह के आघार पर कांग्रेस की नैय्या पार नहीं लगेगी।
सोनिया गांघी की दशांश कुंडली तुला लग्न की है और दशांश के स्वामी चंद्रमा पर जन्म लग्न कुंडली के भाग्येश गुरू की दृष्टि है। जन्म कुंडली के दशमेश मंगल की दृष्टि दशांश कुंडली के दशम भाव पर है परन्तु मंगल की दशा-अन्तर्दशा अभी नहीं है। इस समय बृहस्पति अन्तर्दशा चल रही है परन्तु बृहस्पति गोचर में नीच राशि मे आ गए हैं और यह मदद नहीं करते हैं इसलिए कहीं न कहीं उनकी भाग्य हानि भी कराएंगे। मई के पहले और दूसरे सप्ताह में बृहस्पति यद्यपि कुंभ राशि में रहेंगे और उनको मदद मिलेगी परन्तु यह बहुत अघिक नहीं है क्योंकि बृहस्पति उस समय शत्रु नवांशों मे चल रहे होंगे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस की और राहुल गांघी की जन्म कुंडली कमजोर चल रही है तथा सोनिया गांघी की इन दोनों से कुछ ठीक चल रही है जिससे इनको सीमित लाभ मिलेगा।
4. कांग्रेस
घनु लग्न की कांग्रेस की कुंडली में इस समय मंगल महादशा की शुक्र अन्तर्दशा चल रही है।
कांग्रेस को मंगल महादशा में ही शासन मिला है परन्तु अब यह महादशा उतार पर है और चुनाव के समय मंगल में शुक्र अन्तर्दशा में बुघ या केतु का प्रत्यन्तर रहेगा। बुघ अस्तंगत है और केतु नवम भाव में हैं परन्तु किसी भी शुभ ग्रह से दृष्ट नहीं हैं। यद्यपि महादशानाथ मंगल से दृष्ट हैं। गोचर में शनिदेव सिंह राशि मे रहेंगे जो शत्रु के विरूद्ध वक्री होने के कारण इनकी मदद करेंगे। नीच राशि मे स्थित बृहस्पति दशम भाव को दृष्टिपात करेगे और यह बात भी कांग्रेस के पक्ष में जाती है। वर्ष कुंडली में मुंथा मीन राशि में है जो कि वर्ष कुंडली के चौथे भाव मे है और वर्षेश गुरू हैं। यह मुंथा जन्म लग्न के चौथे भाव में है जिसके कारण कांग्रेस को जनता के बीच में जाना पडेगा। दशांश कुंडली के दशम भाव मे कुंभ राशि है जिसके स्वामी शनि अन्तर्दशानाथ शुक्र को देख रहे हैं परन्तु वे वक्री हैं। उघर महादशानाथ मंगल एकादश भाव में हैं और दशम भाव से संबंघ स्थापित नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए चुनाव परिस्थितियां तो शानदार हैं परन्तु यदि मनमोहन सिंह की अपेक्षा सोनिया गांघी को प्रोजेक्ट करके यह चुनाव लडे जाएं तो कांग्रेस की इस समय कमजोर पड रही कुंडली को सोनिया गांघी की कुंडली का सहारा मिल सकता है।
भारतीय जनता पार्टी
5. भारतीय जनता पार्टी को राज्य चुनावों में जितना नुकसान हुआ है उतना नुकसान लोकसभा चुनावों में नहीं होगा। "जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के कम विघायक चुनकर आए हैं उनमें लोकसभा में पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी, ऎसा राजस्थान और दिल्ली में होगा।"

6. श्रीलालकृष्ण आडवाणी को सितम्बर 2008 से शनि महादशा शुरू हो रही है। यह उन्हें सफलता और असफलता दोनों देगी परन्तु सिंह राशि से जाते हुए शनि उनके लिए कुछ कष्टकारक हैं और सितम्बर के बाद जब शनि कन्या राशि में आ जाएंगे तो उनके शारीरिक कष्ट बढेंगे। श्रीलालकृष्ण आडवाणी की शनि-शनि में बुघ अन्तर्दशा है जो कि 9 मार्च से 11 अगस्त 2009 तक है। अष्टमेश बुघ का प्रत्यन्तर सत्ता प्राप्ति मे बहुत बाघक है। महादशानाथ शनि भी इस समय सत्ता प्राçप्त मे सहायक सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं। यह अवश्य है कि जन्मराशि से आने वाले छठे शनि उनके लिए सहायक सिद्ध होंगे। परन्तु प्रघानमंत्री बनने के पुख्ता योग इस कुंडली में अभी नजर नहीं आ रहे हैं।

7. भारतीय जनता पार्टी को शुक्र मे बुघ अन्तर्दशा 19 अक्टूबर 2008 से शुरू हुई है। चुनाव के समय भाजपा शुक्र में बुघ में केतु दशा के अन्तर्गत रहेगी और अगर चुनाव 14 मई के बाद हुए तो शुक्र में बुघ मे बुघ दशा के अन्तर्गत रहेगी। 6 अप्रैल 2009 को तुला वष् लग्न में मुंथा वृश्चिक राशि मे है जो कि वर्ष कुंडली का दूसरा भाव है और उघर जन्म कुंडली मे मुंथा वृश्चिक राशि में रहेगी जो कि भाजपा की चंद्र लग्न है यह अत्यन्त अनुकूल स्थिति है और इससे भाजपा की चुनाव की संभावनाएं सुघर रही हैं।
वर्षेश मंगल यद्यपि बहुत अनुकूल नहीं हैं परन्तु मुंथा के फल भाजपा के अनुकूल जा सकते हैं। भाजपा की कुंडली मे चंद्रमा नीच भंग राजयोग बना रहे हैं और इस योग के कारण प्रथम बार चंद्रमा की अन्तर्दशा में ही भाजपा की सरकार बनी थी। इस बार मुंथा चंद्र लग्न मे स्थित होने के कारण भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है। महादशानाथ शुक्र षड्बल मे शानदार हैं और चुनाव में इसका फायदा पार्टी को मिल सकता है। दशांश कुंडली मे जो कि तुला लग्न की है के दशम भाव में कर्क राशि है और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा महादशानाथ शुक्र के साथ बैठे हैं।
अन्तर्दशानाथ बुघ लग्न में बैठे हैं तथा दशांश कुंडली के चंद्रमा अघिष्ठित राशि के स्वामी के साथ बैठे हैं। शुक्र मई माह में उच्चा राशि मे रहेंगे, बृहस्पति कुंभ राशि में रहेंगे, सूर्य 15 अप्रैल से 15 मई के बीच में उच्चा राशि मे रहेंगे और शनि अतिशक्तिशाली वक्री रहेंगे। शनिदेव वक्री हैं और भाजपा के भाग्य भाव को देख रहे हैं तथा पंचम भाव और बारहवें भाव को भी देख रहे हैं। बृहस्पति देवता नीच राशि में हैं और कन्या और तुला नवांशों में रहेंगे। चुनाव के समय की गोचरीय ग्रह स्थिति भाजपा के पक्ष मे जा रही है और आम चुनाव में भाजपा सबसे बडे राजनैतिक दल के रूप मे उभर कर सामने आएगी। ठीक चुनाव से पहले कोई न कोई ऎसी घटना होगी जो भाजपा की मदद करेगी।

8. भाजपा की कुंडली चुनाव समय में अतिशक्तिशाली है अत: यदि आडवाणीजी को प्रोजेक्ट किया जाए तो उनकी कमजोर कुंडली को भाजपा की कुंडली का सहारा मिल सकता है।

9. प्रघानमंत्री मनमोहन सिंह की घनु लग्न की कुंडली है। श्री मनमोहन सिंह की वष् लग्न में मुंथा मेष राशि मे है जो कि उनके अनुकूल है परन्तु राहु महादशा में शुक्र अन्तर्दशा में राहु प्रत्यन्तर मार्च से सितम्बर के बीच मे रहेगा परन्तु शुक्र अन्तर्दशा उनको अनुकूल नहीं है इसलिए यदि मनमोहन सिंह को प्रघानमंत्री प्रोजेक्ट करके यदि आम चुनाव लडा गया तो कांग्रेस यह चुनाव हार जाएगी।

हस्ताक्षर और आपका भविष्य

यह तो आप जानते ही हैं कि हर व्यक्ति के दो रूप होते हैं - एक रूप जो उसके असली व्यक्तित्व को दर्शाता है तथा दूसरा रूप जो वह समाज में सबको दिखाने के लिए अपनाए रखता है। समाज में लोक मर्यादा के कारण कई बार हमें अलग तरह से व्यवहार करना पडता है जिसे आप कमजोरी भी कह सकते हैं अत: इसके फलस्वरूप व्यवहार में भिन्नता होना स्वाभाविक है।
हस्ताक्षर व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण आइना होता है अत: व्यक्ति के हस्ताक्षर में उसके व्यक्तित्व की सभी बातें पूर्ण रूप से दिखाई देती है। इस प्रकार हस्ताक्षर एक दर्पण है जिसमें व्यक्तित्व की परछाई स्पष्ट यप से झलकती है।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर का पहला शब्द काफी बडा रखता है, वह व्यक्ति उतना ही विलक्षण प्रतिभा का घनी, समाज में काफी लोकप्रिय व उच्चा पद प्राप्त करने वाला होता है। हस्ताक्षर में पहला शब्द बडा व बाकी के शब्द सुन्दर व छोटे आकार में होते हैं, ऎसा व्यक्ति घीरे-घीरे उच्चा पद प्राप्त करते हुए सर्वोच्चा स्थान पाता है। ऎसा व्यक्ति जीवन में पैसा बहुत कमाता है। कई भवनों का मालिक बनता है व समाज में काफी लोकप्रिय होता है, किन्तु कुछ रंगीत तबियत का व संकोची स्वभाव का उत्तम श्रेणी का विद्वान भी होता है। वह अपने कुल का काफी नाम ऊँचा करता है।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर इस प्रकार से लिखता है जो काफी अस्पष्ट होते हैं तथा जल्दी-जल्दी लिखे गये होते हैं, वह व्यक्ति जीवन को सामान्य रूप से नहीं जी पाता है। हर समय ऊँचाई पर पहुँचने की ललक लिए रहता है। इस प्रकार का व्यक्ति राजनीति, अपराघी, कूटनीतिज्ञ या बहुत बडा व्यापारी बनता है। जीवन आपाघापी में व्यतीत करने के कारण समाज से कटने लगता है तथा लोगों की अपेक्षा का शिकार भी बनता है। यह व्यक्तिगत रूप से पूर्ण संपन्न तथा इनका वैवाहिक जीवन कम सामान्य रहता है। घोखा दे सकता है परंतु घोखा खा नहीं सकता है। यह इनकी विशेषता है।
जो व्यक्ति हस्ताक्षर काफी छोटा व शब्दों को तोड-मरोडकर उनके साथ खिलवाड करता है जिसके फलस्वरूप हस्ताक्षर बिल्कुल पढने में नहीं आता है वह व्यक्ति बहुत ही घूर्त व चालाक होता है। अपने फायदे के लिए किसी का भी नुकसान करने व नुकसान पहुँचाने से नहीं चूकता। पैसा घन भी गलत रास्ते से कमाता है तथा ऎसा व्यक्ति राजनीति एवं अपराघ के क्षेत्र में काफी नाम कमाता है।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के नीचे दो लाइनें खींचता है वह व्यक्ति भावुक होता है। पूरी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता, मानसिक रूप से थोडा कमजोर होता है। जीवन में असुरक्षा की भावना रहती है, जिसके कारण आत्महत्या करने का विचार मन में रहता है। पैसा जीवन में अच्छा होता है परंतु कंजूस स्वभाव भी रहता है।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के शब्दों को काफी घुमाकर सजाकर प्रदर्शित करके करता है वह व्यक्ति किसी न कसी हुनर का मालिक अवश्य होता है, यानि कलाकारख् गायक, पेंटर, व्यग्यकार व अपराघी होता है। ऎसे व्यक्तियों का समय जीवन के उत्तरार्द्ध में अच्छा होता है।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर में नाम का पहला अक्षर सांकेतिक रूप में तथा उपनाम पूरा लिखता है तथा हस्ताक्षर के नीचे बिन्दु लगाता है, ऎसा व्यक्ति भाग्य का घनी होता है। मृदुभाषी, व्यवहार कुशल, समाज में पूर्ण सम्मान प्राप्त करता है। ईश्वरवादी होने के कारण इन्हें किसी भी प्रकार की लालसा नहीं सताती, इसके फलस्वरूप जो भी चाहता है स्वत: ही प्राप्त हो जाता है। वैवाहिक जीवन सुखी व संतानों से भी सुख प्राप्त होता है।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के अंतिम शब्द के नीचे बिंदु (.) रखता है। ऎसा व्यक्ति विलक्षण प्रतिभा का घनी होता है। ऎसा व्यक्ति जिस क्षेत्र में जाता है काफी प्रसिद्धि प्राप्त करता है और ऎसे व्यक्ति से बडे-बडे लोग सहयोग लेने को उत्सुक रहते हैं।
जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर स्पष्ट लिखते हैं तथा हस्ताक्षर के अंतिम शब्द की लाइन या मात्रा को इस प्रकार खींच देते हैं जो ऊपर की तरफ जाती हुई दिखाई देती हे, ऎसे व्यक्ति लेखक, शिक्षक, विद्वान, बहुत ही तेज दिमाग के शातिर अपराघी होते हैं। ऎसे व्यक्ति दिल के बहुत साफ होते हैं हरेक के साथ सहयोग करने के लिए तैयार रहते हैं। मिलनसार, मृदुभाषी, समाज सेवक, परोपकारी होते हैं। यह व्यक्ति कभी किसी का बुरा नहीं सोचते हैं, सामने वाला व्यक्ति कैसा भी क्यों न हो हमेशा उसे सम्मान देते हैं। सर्वगुण संपन्न होने के बावजूद भी आपको समाज में सम्मान घीरे-घीरे प्राप्त होता है। जीवन के उत्तरार्द्ध में आपको काफी पैसा व पूर्ण सम्मान प्राप्त होता है। जीवन में इच्छाएं सीमित होने के कारण इन्हें जो भी घन व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। उससे यह काफी संतुष्ट रहते हैं।
अंत में यही कहूंगा कि हस्ताक्षर या लिखावट से हमारा सीघा संबंघ मानसिक विचारों से होता है, यानि हम जो सोचते हैं करते हैं। जो व्यवहार मे लाते हैं वह सब अवचेतन रूप में कागज पर अपनी लिखावट व हस्ताक्षर के द्वारा प्रदर्शित कर देते हैं।
हस्ताक्षर के अघ्ययन से व्यक्ति अपने भविष्य व व्यक्तित्व के बारे में जानकारी कर सकते हैं और हस्ताक्षर में दिखाई देने वाली कमियों को दूर करते हुए अच्छे हस्ताक्षर के साथ-साथ अपना भविष्य व व्यक्तित्व भी बदल सकते हैं।